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९५. स्कंदक मुनि के ४९९ चेले घाणी में पीडे ।
९६. अरणिक मुनि का अधिकार ।
९७. आषाढभूति मुनि का अधिकार । ९८. आषाढभूति नटनी वाले का अधिकार |
९९. सुदर्शन शेठ अभया रानी का अधिकार ।
१००. आठ दिन के पर्यूषणा करने ।
१०१. चेलणा रानी छल करके श्रेणिक ने व्याही ।
१०२. छप्पनकोड़ यादव ।
१०३. द्वारका में ७२ कोड घर ।
१०४. द्वारका के बाहिर ६० कोड़ घर ।
१०५. रेवती ने कोलापाक बोहराया ।
१०६. श्रीपार्श्वनाथ की स्त्री का नाम प्रभावती ।
१०७. श्रीमहावीरस्वामी की बेटी को ढंक नामा श्रावक ने समझाया ।
१०८. भगवान की जन्मराशि ऊपर दो हजार वर्ष का भस्मग्रह |
१०९. भगवान के निर्वाण से दीवाली चली ।
११०. हस्तपाल राजा वीनती करे चरम चौमासा यहां करो ।
१११. शालिभद्र ने पूर्व जन्म में खीर का दान दिया ।
११२. कयवन्ना कुमार की कथा ।
११३. अभयकुमार की कथा ।
११४. जंबूस्वामी की आठ स्त्रियों के नाम ।
११५. जंबूकुमार का पूर्वभव में भवदेव नाम और स्त्री का नागीला नाम ।
११६. जंबूकुमार के मातापिता का नाम धारणी तथा ऋषभदत्त ।
११७. अठारह नाते एक भव में हुए उस की कथा ।
११८. जंबूकुमार की स्त्रियों ने आठ कथा कहीं ।
११९. जंबूकुमार ने आठ कथा कहीं ।
१२०. प्रभव पांचसौ चोरों सहित आया ।
१२१. जंबूकुमार के दायजे में ९९ क्रोड़ सोनैये आये ।
१२२. सीता सती को रावण हरके ले गया ।
१२३. रावण के भाईयों का नाम कुंभकरण विभीषण था । १२४. रावण की बहिन का नाम सूर्पनखा ।
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