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________________ २२ ९५. स्कंदक मुनि के ४९९ चेले घाणी में पीडे । ९६. अरणिक मुनि का अधिकार । ९७. आषाढभूति मुनि का अधिकार । ९८. आषाढभूति नटनी वाले का अधिकार | ९९. सुदर्शन शेठ अभया रानी का अधिकार । १००. आठ दिन के पर्यूषणा करने । १०१. चेलणा रानी छल करके श्रेणिक ने व्याही । १०२. छप्पनकोड़ यादव । १०३. द्वारका में ७२ कोड घर । १०४. द्वारका के बाहिर ६० कोड़ घर । १०५. रेवती ने कोलापाक बोहराया । १०६. श्रीपार्श्वनाथ की स्त्री का नाम प्रभावती । १०७. श्रीमहावीरस्वामी की बेटी को ढंक नामा श्रावक ने समझाया । १०८. भगवान की जन्मराशि ऊपर दो हजार वर्ष का भस्मग्रह | १०९. भगवान के निर्वाण से दीवाली चली । ११०. हस्तपाल राजा वीनती करे चरम चौमासा यहां करो । १११. शालिभद्र ने पूर्व जन्म में खीर का दान दिया । ११२. कयवन्ना कुमार की कथा । ११३. अभयकुमार की कथा । ११४. जंबूस्वामी की आठ स्त्रियों के नाम । ११५. जंबूकुमार का पूर्वभव में भवदेव नाम और स्त्री का नागीला नाम । ११६. जंबूकुमार के मातापिता का नाम धारणी तथा ऋषभदत्त । ११७. अठारह नाते एक भव में हुए उस की कथा । ११८. जंबूकुमार की स्त्रियों ने आठ कथा कहीं । ११९. जंबूकुमार ने आठ कथा कहीं । १२०. प्रभव पांचसौ चोरों सहित आया । १२१. जंबूकुमार के दायजे में ९९ क्रोड़ सोनैये आये । १२२. सीता सती को रावण हरके ले गया । १२३. रावण के भाईयों का नाम कुंभकरण विभीषण था । १२४. रावण की बहिन का नाम सूर्पनखा । Jain Education International सम्यक्त्वशल्योद्धार For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003206
Book TitleSamyaktva Shalyoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Punyapalsuri
PublisherParshwabhyudaya Prakashan Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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