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सवैया
हाढ बोल दे हवान नहीं सूतर परमाण करें उलटा ज्ञानपंथ आपना चलांव दे, प्रभुआज्ञा न माने वोह कुलिंग रूप ठाने उत सूतर बरखाने मिथ्यादृष्टि को वधां वदे, मुखों कहें हम साध करें ऐसे अपराध बैठे डोब के जहाज पारदधि का न पांव दे, जैसे मिसरी मिठाई मन गधे के ना भाई प्रभुपूजा की रसोई बिन जनम गवांव दे ||४|| कुंडली छंद
मीतसु आचारंग की नियुक्ति का ज्ञान, पूर्ण सतगुरु हम मिले तिमर गए चढ भान, तिमर गए चढ भान अर्थ जब पूर्ण पाये, पूजायात्रा भेद सभी ये अर्थ बताये, दूध बडो रस जगत मैं कुमति ज्वर ना पीत, पीवत वो प्राण न हरे आचारंग सुमीत | सवैया
सुन सावण नकारे जैनसूतरों से न्यारे कहे जैनी हम भारे ये पाखंड क्या मचाया है । कहें वीर के हुं साध करे सूतरा पराध वीर प्रतिमा विराध ऐसी दुरदस छाया है । जिन सूतर बताये एक अखर मिटाये तो नरकगति पाये पाप सठने बंधाया है ।
जिना सूतर हटाये पाठ उलटे सुनाये हडताल से मिटाये तां का कौन छेडा आया है ||५||
कुंडली छंद
देख खुलासापाठ जो सूत्रमहानिसीथ, जिनपडिमा से पूजिये उच्ची पदवी लीध, उच्ची पदवी लीध अच्युतासुर पद पाये, दशवैकालिक देख पाठ क्यों नैन छपाये, साधु उस थां नहीं रहे नारी मूरत लेख, ये अवगुण पडिमा सगुण पाठ खुलासा देख ।
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सम्यक्त्वशल्योद्धार
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