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(५) अर्थात् कनकखल अाश्रम से सेयं विया निकट है, दूर नहीं । इस से यह निश्चय हो जाता है, भगवान के विहारक्रम में जो कनकवल आश्रम स्थान आया है वह श्वेतम्बिका के निकट होना चाहिये । जब कि निर्दिष्ट मान्यता से वह अत्यन्त दूर है।
भगवान का दूसरा वर्षावास नालन्दा में हुआ था । श्राबूपर्वत से भगवान के विहार का जो मार्ग बनेगा, सामान्यतः उस रास्ते में गंगा नदी के उत्तर वाले प्रदेश परिगणित न हो सकेंगे। परन्तु विहार का जो उल्लेख प्राप्त है उसके अनुसार भगवान ने गंगा के उत्तर वाले प्रदेश मल्ल में भी विहार किया था। यदि यह मान लिया जाय कि भगवान ने श्राबूपर्वत से मल्लदेश की ओर विहार किया था, वहां से नालन्दा की ओर, तो गंगानदी के पार करने का कई बार उल्लेख होना चाहिये था। पर विहारक्रम में गंगा पार करने का एक बार ही उल्लेख किया गया है। साथ ही श्राब से मल्लदेश को भगवान के जाने की क्या आवश्यकता थी जब कि वे सीधे वहां से राजगृह जा सकते थे।
कनकखल श्राश्रमपद से चल कर भगवान उत्तरवाचाला गये, फिर क्रम से सेयविया (श्वेतम्बिका), सुरभिपुर, गंगानदी, थूणाकसन्निवेश, राजगृह और नालन्दा गये। थूणाकसन्निवेश मल्लदेश में था और गंगा के उत्तर में। थूण के सम्बन्ध में निम्न उद्धरणों से प्रकाश पड़ता है।
(i) The Udana (VII, 9) places Sthuna in the country of the Mallas to the north-west of Patna on the right bank of the Gandaki. - Journal of The U. P. His. Socicty. vol. Xv, Pt. II, Page 30:
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