SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ को उसे लिपिबद्ध करने की आवश्यकता प्रतीत होती । काठियावाड़ में बहने वाली यह भोगवा या भोगवती वस्तुतः वर्षाकाल में चलने वाला एक नाला है, उस भोगवा की साहित्य में वर्णित वेगवती नदी से समानता नहीं है। इसलिए नदी की समानता से अस्थिकग्राम को काठियावाड़ में मानने का कोई श्राधार ही नहीं बनता। इस प्रथम वर्षावास से पूर्व भगवान ने जिन स्थानों में विहार किया है उन में से एक भी स्थान ऐसा नहीं है जो काठियावाड़ में पाया जाता हो । क्षत्रियकुण्ड, ज्ञातखंण्डवन, कारग्राम, कोल्लागसन्निवेश, मोराकसन्निवेश, ये सभी स्थान साहित्यकारों ने पूर्व में बताये हैं। इन स्थानों में विहार करने के बाद भगवान ने अस्थिकग्राम (वर्धमान) में वर्षावास किया । यदि भगवान त्रियकुण्ड से चलकर काठियावाड़ के वढवाण शहर की ओर गये होते तो मार्ग में आने वाले मुख्य मुख्य स्थानों के नामों का कहीं तो उल्लेख किया जाता । क्योंकि क्षत्रियकुण्ड से वढवाण तक के एक भी गांव का कोई उल्लेख नहीं प्राप्त होता इसलिए प्रतीत होता है कि काठियावाड़ की ओर भगवान नहीं गये थे। . बौद्ध-साहित्य में महात्मा बुद्ध की राजगृह से कुशीनारा तक की यात्रा में जो स्थान पाये थे उनके नाम गिनाये गये हैं। उन स्थानों में हथिगाम भी एक स्थान था जो कि वज्जी (विदेह) देश के अन्तर्गत था और वैशाली से भोगनगर तक जाने वाली सड़क के किनारे पर था। सोमवंशी भवगुप्त प्रथम के ताम्रपत्र में जो हस्तिपद.. नामक स्थान पाया है वह भी मम्भवतः हथिग्राम है । इस पर श्री 'दिनेशचन्द्र सरकार और पी० सी० रथ 'इण्डियन हिस्टारिकल क्वार्टरलो' के भाग २० अंक ३ में पृष्ठ २४१ पर लिखते हैं : Hastipada is mentioned in a number of: records as the original home of some Brahmana families. Its identification is uncertain; but it Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003205
Book TitleVeer Vihar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashiram Saraf Shivpuri
Publication Year1947
Total Pages44
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy