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________________ मति ( ७२ ) २२–सोमल ब्राह्मण की प्रवज्या ३७७ २३-हाथ में मुँहपत्तो रखने का खुल्ला पाठ ३७८ २४-स्थानकवासियों के माने हुए सूत्रों के प्रमाण २५-अन्यर्मियों के माने हुए शास्त्रों के प्रमाण २६-ऐतिहासिक प्रमाण २७ - उपकेशपुर के मन्दिर में प्राचार्य की मूर्ति २४-मथुरा के कंकाली टोला से मिले कृष्णर्षि की मूर्ति २९-कुंभारियाजी के मन्दिर में चतुर्विधि श्री संघ ३०-अंजारी के मन्दिर में एक प्राचार्य की मूर्ति ३१-पाटण श्राबु और प्राचीन श्राचार्यों की मूर्तियों ३२-तीर्थश्री कापरडाजी के मन्दिर में श्राचायों की मूर्वि ३९० .३३-स्थानकवासियों के सैकड़ों विद्वान मुंह० डा० त्याग ३९० ३४-सूक्ष्म शोध खोज ३९१ ३५-महावीर के बाद बावीस शताब्दियों की शोध ३९१ ३६-यह सब आवार्य मूर्तिपूजक ही थे ? ३७- मुँहपत्ती बाँधने बाले थोड़ी संख्या में थे ? ४०७ ३८-कल्पित चित्रों की परीक्षा ३९-प्रचलित क्रिया में रहो बदल ४०८ ४०-नाभारनरेश के पण्डितों का फैसला ४१२ ४१-एक विद्वान अंग्रज डाक्टर के अभिप्राय ४२० ४२-डा-फ्रॉबस साहब की रासमाल४३-परिशिष्ट Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003204
Book TitleMurtipooja ka Prachin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1936
Total Pages576
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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