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________________ ( ६४ ) 11 19 99 99 "" 19 ६८ -- एक विधवा अपने पति का चित्र देखे तो ? उत्तर ६९ - मूर्ति के बनाने वालों को क्यों नहीं पूजते हो ?,, ७० - सिलावट के वहाँ मूर्ति है वह वन्दनीय क्यों ७१ -- वैरागी को तो सामायिक का पाठ सुनाया० ७२ - सिलावट के वहाँ रही मूर्ति की अशातना नहीं ७३ - मूर्तिएकेन्द्री है तो पांचेन्द्रिय पूजा कैसे करे ? ७४ - मन्दिर तो बारहवर्षी दुकाल में बने हैं ? ७५ - बारह वर्षी दुकाल को १००० वर्ष हुए हैं ? ७६ - मन्दिर मार्गीयों ने धाम धूम आरंभ बढ़ा दिया ७७ - इसको तो हम संसार खाता समझते हैं ? ७८ - लौकाशाह का मत कैसे चल पड़ा ? ७९ - कई लोग खण्डन तो कई लोग मण्डन १ ८० - क्या खण्डन करने वालों श्रात्मार्थी नहीं हैं ? ८१ - स्थानकवासी तेरहपन्थी सामान कैसे हो० ? ८२ - मूर्तिपूजा अनादि बतलाते हो तो दूसरे० ?" ८३- मूर्ति नहीं मानने वाले अन्य देवी देवाताओं० ८४ - मूर्ति नहीं मानने वाले महावीर से ही चले आते हैं १२४८ ८५ - भगवान के फरमाये हुए सूत्र कितने हैं ८६ - यह क्यों कहा जाता है कि ३२ सूत्र भग० १ ८७ - बत्तीस सूत्र मूल पाठ मानते हैं ? 19 "9 19 २४७ 99 २५० " 39 ८८ - आप भी तो ४५ श्रागम मानते हो ? ८९ - क्या ३२ सूत्रों में मूर्तिपूजा के उल्लेख हैं ९० - कई सूत्रों का मूलपाठ नहीं है ? ९१ - श्राप मुँहपती हाथ मैं क्यों रखते हो ? Jain Education International For Private & Personal Use Only " " "9 " 19 79 39 13 २३२. २३३ 99 २३४ 99 C "3 २३५ "" २३७ २३८ २४० २४२ २४३ $9 २४४ 19 २५१ २५२ २५३ २५६ 13 www.jainelibrary.org
SR No.003204
Book TitleMurtipooja ka Prachin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1936
Total Pages576
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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