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________________ (५८) १२० नम्बर विषय पृष्ठः ६९-मूर्तिपूजाका इतिहास । ११८ ७०-इतिहास के साधन । १२० ७१---स्वामी दयानन्द सरस्वती के अभिप्राय । ७२- नमिनाथ के बाद ०२२२ वर्ष की प्राचीन मूर्ति का लेख १२० ७३-राजाओं के शिक्के पर चैत्य का चिन्ह । १२१ ७४-मोहान जा डरा से प्राप्त प्राचीन मूर्ति (१०००० वर्ष) १२३ ७५-हरप्पा भू नगर से मिली मूर्ति (५००० वर्ष) १२३ ७६--कलिंगजिन, खारबेल का शिला लेख में। १२३ ७७-हेमवंत पट्टावलि और राजा श्रेणिक का मन्दिर। १२७ ७८--स्वामि मणिलाल जी ने स्वीकार की दूसरीश० मू. १२९ ७९---दशपुर नगर का इतिहास और प्रा० मूर्ति । १३० ८०-उदाइराजा के घर देरासर में महावीर मूर्ति । १३२ ८१-राजा चेटक और मुनिसुव्रत का स्तूप। १३३ ८२--श्राकोला जीलके भूगर्भ से मिलोमूर्तियाँ (२५०० वर्ष) १३३ ८३--बुद्ध के समय सुपार्श्वनाथ का मन्दिर । १३४ ८४--पार्श्वनाथ के समयका स्तूप भूमि से मिला। १३५ ८५--मुंडस्थल का मंदिर (महावीर दीक्षा का ७ वां वर्ष) १३५ ८६-भद्रेश्वर का मन्दिर ( वीरात् २३ वर्ष का) , ८७-~-उपकेशपुर का महावीर मन्दिर (वीरात् ७० वर्ष) १३५ ८८-महावीर के बाद ८२ वर्ष की मूर्ति । १३७ ८९---महावीर के पश्चात् ८४ वर्ष का शिला लेख । १३८ ९०-डॉ० प्राणानाथ का मत(२५०० वर्ष पूर्व मूर्तिपूजा) १३९ ९१--पटना से मिलिहुई प्राचीन मूर्ति (कूणिक का समय) १३९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003204
Book TitleMurtipooja ka Prachin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1936
Total Pages576
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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