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________________ क्या० ती. मुं. मु • बान्धते थे ? सरकार बाला दाम हश्मतहू से चिट्ठी श्रापको पेश होकर बदी जवाब बतवस्सुल ड्योढ़ी मुबारिक व हवालह हुक्म खास घदी इरशाद सदर हुश्रा कि बाबजी को इतला दी जावे कि जहाँ उनका मनशा हो तब करावें, बखिदमद महात्माजी नमस्कार दस्त बस्तह होकर इल्तिमास किया जाता है कि जहाँ आपका मनशा हो छपवाया जावे, और जो फैसला तनाजअ बाहमी साधुश्रान् महात्मा का जो जैनमत के अनुसार पण्डितान ने किया था, आपके पास पहुँच चुका है मुतजअ हो चुका है, तहरीर ११ माघ संवत् १९६२, द. सपूर्णसिंह अज सरिशहत कमेटी पण्डितान ॥ जिस प्रकार नाभा का फैसला हुआ और इस में स्थानकवासियों का पराजय हुआ था इसी प्रकार पटियाला इलाका के समाना शहर में भी शास्त्रार्थ हुआ उस में भी स्थानकवासियों का हो पराजय हुआ था और बात भी ठीक है कि जिन लोगों ने जैन-शास्त्र विरूद्ध आचरण को है उन लोगों का पराजय होता ही है क्योंकि डोराडाल दिनभर मुँहपत्ती बांधने में न तो जैन-शास्त्र सहमत है न परधर्म के शास्त्र । और न ऐतिहासिक साधनों के प्रमाण ही सम्मत हैं इतना ही क्यों पर यह प्रथा लोक विरूद्ध भी है इस कुलिंग की स्थान स्थान निंदा और अबहेलना होती है जैन धर्म की निंदा और हँसी करवाई है तो ऐसे कुलिंग धारियो ने ही करवाई है इन लोगों के लिये हमें दया आती है शासन देव इन को सद्बुद्धि प्रदान करे इन के अलावा और क्या किया जाय । . * ऐसे फैसलों से और ऐतिहासिक साधनों से इन कल्पितमत (२७)-४८ - - - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003204
Book TitleMurtipooja ka Prachin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1936
Total Pages576
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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