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क्या० ती० मुँ० मु० बान्धते थे ?
महावीर यदि ऐसी संकीर्णवृति रखते तो चालीस करोड़ जनता उनके झंडा के नीचे आ सकती ? कदापि नहीं ।
दूसरा आप यह बतलावे कि भगवान् महावीर ने अगर डोरा डाल मुँहपत्ती मुँहपर बान्धी थी तो छदमस्थावस्था में या केवलावस्था में बांधी थी ? यदि इदमस्थावस्था में बांधी तो रजोहरण चोलपटा क्यों नहीं । कारण मुँहपर मुँहपत्ती और अधोभाग बिलकुल नग्न यह शोभा नहीं देता है। अगर केवलावस्था में कहो तो जब भगवान् दीक्षा धारण की उस समय इन्द्र महाराज ने एक देव वस्त्र आप के कन्धे पर डाला उसका उपयोग तो भगवान् ने नहीं किया पर साधिक एक वर्ष के बाद वह स्वयं गिर गया तदान्तर भगवान अचेल ही रहेथे कैसे वन सकता है क्योंकि आपके कथनानुसार भगवान् की केवलावस्था में भी मुँहपर मुँहपत्ती बांधी हुइथी । इससे वे अचेलक नहीं पर सचेलक ही हुए ।
तीसरा आपके पूर्वज और आप मुँहपर मुँहपत्ती बांधने का खास कारण बोलते समय उपयोग न रहना ही बतलाते हो तो क्या भगवान् महावीर को भी आप इसी कोटी के समझ रखा है न । शायद वे समवसरण में घंटों तक व्याख्यान देते समय कहीं उपयोग शून्य हो खुल्ले मुँह न बोल जाय । क्यों तीर्थङ्करों के मुँह पर डोरावाली मुँहपत्ती बाँधने का कारण यही है या अन्य हेतु हैं धन्य (1) है आपकी बुद्धि को, आप जैसे सुपुत्र के सिवाय तीर्थङ्करों को अचेल अवस्था में उपयोग शून्यता के कारण डोरा - डाल मुँह पर मुँहपत्ती कौन बँधावे ।
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