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________________ मू० पू० वि० प्रश्नोत्तर ३२६ क्रिया के लिए क्या स्त्री क्या पुरुष सभी स्वतंत्र हैं । अपना षट्कर्म तो सब-कोई करते हैं । यदि औरतें सामयिक, पौषह, प्रतिक्रमण, प्रभु पूजा आदि धर्म कार्य करें तो इसमें आश्चर्य करने की क्या बात है। आपने महासती द्रौपदी की कथा नहीं सुनी है कि वह विवाह जैसे राग-रंग, धाम-धूम के समय में भी स्वयम्वर मण्डप में जाने के पहिले अपने घर देरासर और नगर मन्दिर की पूजा करने गई. थी तो अन्य दिनों की तो बात ही क्या है ! प्र०-क्या बिना पूजा के औरतें तिलक नहीं करती हैं ? उ०-हाँ, पूजा नहीं करने वाली स्त्रियां ललाट पर तिलक नहीं करती; किन्तु केवल कपाल पर सौभाग्य-बिन्दो लगाती है। स्वयं सुभद्रा भी जब ससुराल गई है तो उसके तिलक का वर्णन आपके पूज्यजी ने नहीं किया है क्योंकि तिलक तो पूजा के समय ही किया जाता है और उस समय शायद सुभद्रा ने पूजा पहले करली होगी। इससे रवानाके समय तिलक का वर्णन पूज्यजी ने नहीं किया है । सौभाग्य बिन्दी तो स्त्री का शृङ्गार है अतः बिन्दी हर समय लगा सकती है और पूर्व में जो हमने "उपासक दशांग सूत्र” का तिलक वाला उद्धरण दिया है वह पूजा करने के समय का है। क्यों समझे न ? अब जरा आप अपने पूज्यजी से पूछो कि आप३२ सूत्र मानने का तो आग्रह करते हैं पर उपासकदशाङ्गसूत्र की टीका की ओट में "चम्पा नगरी का यह कल्पित इतिहास" कहाँ से ढूंढ निकाला है ? क्योंकि उस इतिहास के पृष्ट ४४ पर एक केवली के मुंह से मरकी की शान्ति के लिए आश्विनवदी ८ अष्टमी को श्रांविल करना बतलाया है, यह किस प्रमाण से। क्योंकि जैनागमानुसार जैन लोग 'आश्विनसुदि ७ और ८ को आंबिल श्रीली का प्रारंभ बताते हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003204
Book TitleMurtipooja ka Prachin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1936
Total Pages576
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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