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मू० पू० वि० प्रश्नोत्तर
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पर आप यह बतलावें कि हम किस चरित्राऽनुवाद का अनुकरण करते हैं ?
९० - आप दिनभर मुँहपर मुँह-पत्ती बाँधने का आग्रह करते हो, यह किस विधि-वाद का पाठ है और आपके, श्रावक की सामायिक पौसह किस विधि-वाद के अनुसार है ?
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प्र० -- मेघकुमार की दीक्षा के समय आठ पुड़ की मुँहपत्ती से मुँह का बाँधना लिखा है और यह पाठ सूत्रों का है । सोमिल ब्राह्मण ने काष्ठ की मुँह पत्ती से मुँह बाँधा था । गौतम स्वामी ने मृगवती रानी के कहने से मुँह बाँधा था और श्रावक के सामायिक पौसा प्रत्याख्यान का वर्णन आनन्दश्रावक के अधिकार में श्राता है।
उ०-
- मेघकुमार के अधिकार में हजामत करने के समय नाई ने मुँह पर आठवाला वस्त्र बाँधा और सोमलने मिथ्या - प्रव्रज्या के समय काष्ठ की मुँह पत्तो बाँधी, परन्तु सम्यक् दृष्टि देवता ने उन्हें मिथ्यात्व कहा है और इस मिथ्या दशा को त्यागने के लिये ४ दिन तक समझाया । आखिर पाँचवें दिन यह बात सोमल के मम में आगई कि मेरी यह मान्यता मिथ्या है । तब उसने
उस मिथ्या प्रवृत्ति अर्थात् मुहबांधने का त्याग कर फिर सम्यक्त्व धारण कर लिया तथा गौतम स्वामी ने जो अपना मुख बाँधा
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थो, वह दुर्गन्ध के कारण ही बाँधा था। फिर भी यह उदाहरण तो सबके सब चरित्राऽनुवाद के ही है, न कि विधि वाद के । अत्र आगे आपके श्रावक सामायिक पौसह और प्रतिक्रमण करते हैं; ये किस विधि-वाद के अनुसार करते हैं और इसके विधान का देख किस शास्त्र में है, कृपया बताइये ?
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