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आपने जैन साहित्य का अभूतपूर्व उद्धार किया और क्षुद्र विचारों का नाश किया, आपने अपने लघु जीवन में जो २ महत्व के कार्य किए हैं वे सदा के लिए स्थायी रहेंगे और इसीसे हम कहते हैं कि आप केवल जैन समाज के ही नहीं किन्तु भारत भर के एक जग मगाते अमूल्य होरे थे । - भूरि २ वन्दन हो उन महात्मा को ।
चरणरज
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ज्ञानसुन्दर
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