SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 378
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मू० पू० वि० प्रश्नोत्तर २६२ क्रिया में गुरु आदेश (आज्ञा) लेना चाहिए । यह बिना स्थापना आज्ञा किसकी लेवें । इसीसे स्थापना की आवश्यकता है। प्र०-हमारे तो सब साधु या श्रावक पूज्यजी या बड़े साधुओं की आज्ञा लेते हैं ? उ०-पर पूज्यजी किसकी आज्ञा लेते हैं ? प्र०-श्री सीमंधर स्वामी की आज्ञा लेते हैं। उ०--श्री सीमंधर स्वामी कहां पर हैं ? उ०-महाविदेह क्षेत्र में तीर्थकर हैं। प्र०- भरतक्षेत्र में तो इस समय शासन महावीर के पट्टधर सौधर्म गणधरका चल रहा है इस हालत में सीमंधर स्वामी की आज्ञा कैसे ले सकते हो ? उ०-वे तीर्थंकर हैं उनकी आज्ञा लेना क्या अनुचित है ? प्र०-वे तीर्थंकर महाविदेह क्षेत्र के हैं एवं हमारे वन्दनीय पूजनीय अवश्य हैं, पर भरतक्षेत्र में उनकी आज्ञा नहीं ली जाती है। उ०-क्या कारण ? प्र०-उनके शासन का आचार व्यवहार भरतक्षेत्र से भिन्न है जैसे भरत में इस समय पांच महाव्रत हैं वहां चार ही हैं। वहां दोष लगे तो प्रतिक्रमण करे । पर यहां अवश्य किया जाता है इत्यादि । भला ! आप सोमंधर स्वामी की आज्ञा लेते हो तो वे यहां मौजूद नहीं है। __उ०-ईशान कोन में श्रीसीमंधरस्वामी की कल्पना कर आज्ञा मांग लेते हैं। प्र०-कल्पना करना यह भी स्थापना ही है फिर भरतक्षेत्र के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003204
Book TitleMurtipooja ka Prachin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1936
Total Pages576
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy