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जहां तन और धन की प्रचुरता से सहायता मिलती हो वहां तो कार्य करने में आसानी है पर मारवाड़ जैसे शुष्क प्रदेश में तो इन दोनों बातों का प्रायः अभावसा हो है तथापि श्रात्मार्पण करने वाले पुरुषार्थी महात्माओं के लिए सब कुछ बन सकता है ।
मुनि श्री की वृद्धावस्था के कारण शरीर शिथिल होने पर भी आपका प्रकाशन का आज पर्यन्त चालू ही है और उनके प्रचार के लिये हमारे स्थानकवासी समाज द्वारा चारों ओर जाहिर खबर फैलाई जाती है। हम महाराजश्री को इस परोपकार के लिये हार्दिक धन्यवाद देते हैं और चाहते हैं कि ऐसे परोपकारी महात्मा चिरायु हों और हम भूले भटकों को सन्मार्ग की राह बतला कर मरुभूमि का उद्धार करते रहें । अस्तु
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आपश्री का चरण सेवक दफ्तरी जवाहिरलाल जैन ।
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