________________
थथ मृतक शरीर के पास में बैठ कर
स्था० आ० पार्वताजी (पंजाबी) यू स्था० पूज्य गोपालजी स्वामिका
00000000000000000.0000000000000
मोहनऋषि.
ढूंढनी पार्वतीजी.
मणिलालजी.
Jain Education International
नथुजीऋ.प.
उनकी चलीजोवी.
000000000000000000000000000000000000000000
तीर्थंकरों की सूर्ति के कट्टर विरोधी समाज आप अपने को पूजाने का कैसे पीपासु हैं ? क्या इसको मूर्तिपूजा नहीं कहा जा सकता है ?
For Private & Personal Use Only
इन तीनों साधुओंने फोटू खंचाया है । * स्था० आ० जीवीजी (पंजाबी) 2
www.jainelibrary.org