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हीरालालजी म० । पूज्यश्रीलालजी म० । पूज्य शोभाचंदजी म०
-प्र०व० साधु चोथमलजी और आप के गुरु।।
पूज्यश्री रत्नचन्दजी म० की समुदाय के पूज्य
इन मूर्तियों (फोटू) के बनाने का अर्थ तो यही होगा कि इन पूज्यों की मूर्तियों को देख भक्तजनों के हृदय में उन उपकारी पूज्यों के प्रति पूज्यभाव पैदा हो । इसी कारण इन पूज्यों की मूर्तियों को (फोटू) भक्त अपने स्वच्छ मकानों में रख प्रातः समय दर्शन कर तथा धूप उखेव कृतकृत्य बने । यदि ऐसा ही है तो तीर्थंकरों की मूर्तियों के प्रति मलीन भाव क्यों ? इसको ज़रा शान्त चित्त से सोचें, विचारें और मनन करें।
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