________________
PALAAAAAAAAAA
स्थापना और द्रव्य विक्षेपों को अपूज्य मानने वाला समाज अपने पूज्य पुरुषों के मृत शरीर रूपी द्रव्य निक्षेप और आकृति रूप स्थापना निक्षेप का तो इस प्रकार से भक्तिभाव और सत्कार करे और तीर्थंकरों के द्रव्य और स्थापना निक्षेप मानने को इन्कार करे, इससे अधिक पक्षपात क्या हो सकता है ?
AcAGAGAGAGA
स्थानकमार्गी तपस्वीजी माणकचन्द्रजीऋषि
आपके भक्तों ने आपके मृतक शरीर और पालकी के साथ फोटू ली है । और उन्होंने आपका समाधिस्थान (मन्दिर) भी बनवाया है ।
AAAA
EGEO
Jain Education International
AAAACACA
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org