________________
प्रकरण पांचवाँ
१४६
the site where Jain temples exist is still, a place of pilgrimage for the votaries of Mabavira. I have good reasons for believing that the Buddhist Kausambi was a different place (J. R. A. S. July 1898 ). I commend the study of the antiquities at Kosam to the special attention of the Jain community” . अर्थात् - मुझे पूर्ण विश्वास है कि इलाहबाद जिले के कोसम नामक गाँव के खण्डहर आदि बहुतायत से जैन स्मारक सिद्ध होंगे, न कि बौद्ध । जैप कि डॉ. कनिंघम ने अनुमान किया था 'यह ग्राम निश्चय से जैन कौशाम्बी है। जिस स्थान पर जैनमंदिर बने हैं वे अब भी महावीर के उपासकों के तीर्थस्थान हैं । मेरे पास यह विश्वास करने के लिए कि बुद्ध कौशाम्बी एक अन्य स्थान है बहुत से दूसरे प्रमाण हैं । “जै० रि० ए० सो० जुलाई सन् १८९८ ।”
मैं जैन सम्प्रदाय को इस जैन कौशाम्बी की प्राचीनता की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए आग्रह करता हूँ।"
(२७) अहिछत्ता-नगरी के खोद-काम से प्राचीन खण्डहर तथा मन्दिर मूत्तिएँ प्राप्त हुई हैं, वे मूर्तिएँ ई० सन् के पूर्व दो सौ वर्ष को पुरानी हैं।
“जैन सत्यप्रकाश अंक १ पृष्ठ २०-" "लेखक नाथालाल छगनलाल श्रावणमास वि० सं० १९९१”
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org