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________________ प्रकरण चतुर्थ ९४ परणता ? x x एवं चउदिसि चत्तारी सिद्धायतणा।" श्री जम्बुद्वीप ५० पृष्ड ४००-१ इसी प्रकार पांडकबन के चार सिद्धायतन (जिन मन्दिर) का वर्णन करते हुए पांडक वन की चूलिका पर एक मन्दिर का इस 'प्रकार वर्णन किया है। 'तीसे उप्पि बहु समरमणिज्जो भूमि भागे जाव बहुमज्ज देस भाए सिद्धायणं कोसं आयमार्ण अद्धकोसं विक्खभेणं देसूर्णय कोसं उद उच्चताणं अणेग खंभसंयं सीणिवठं जाव धूवकुडु छुगा।" . जम्बू द्वी०प० पृष्ठ ४०० आगे चारण मुनि नन्दीश्वरद्वीप यात्रार्थ जाते हैं वहां के चैत्यों का भी शास्त्रकारों ने विस्तार से वर्णन किया है परन्तु यहाँ पर प्रमाण जितना हो सूत्रपाठ लिख देते हैं। "तेसिणं अँजणग पव्वयाf बहु समरमणिज्ज भूमि भाग ५० तेसिणं बहु समरमणिज्जाणं भूमि भागाणं बहुमज्ज देस भाए चत्तारि सिद्धायणा पं० तेणं सिद्धायणा एग जोयणसयं आयमेलं 4० परणसँ जोयण विक्समेणं बावतरि जोयणे उद्द उच्चताणं ।” इत्यादि। जीवाभिगय सूत्र प्र०४ नन्दीश्वर द्वीप में जैसे ऊपर के पाठ में चार अंजनगिरि पर्वतों पर चार सिद्धायतन ( जिन मन्दिर ) बतलाया है वैसे ही १६ दधीमुखा पर्वतों पर १६ और ३२ कनक गिरि पर ३२ एवं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003204
Book TitleMurtipooja ka Prachin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1936
Total Pages576
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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