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________________ ६३ पूजा का फल यावत मोक्ष पीछे क्या करने से कल्याण का कारण होगा?, और पहिला पीछे क्या काम करने से हित, सुख, कल्याण, मोक्ष का, कारण होगा ? इसका ही उत्तर मिलता है कि सुर्याभ वैमान के अन्दर सिद्धायतन में १०८ जिन प्रतिमाओं जो जिनदेव के शरीर प्रमाण अर्थात् जघन्य सातहाथ उत्कृष्ट पांचसौ धनुष्य की तथा सौधर्मी सभा के अन्दर जो गोल डब्बे में जिनेन्द्र देवो की दाढ़ो रही उनका वन्दन पूजन करना ही आप का पहला काम है यही आपका पीछे काम है जिनप्रतिमा का वन्दन पूजन हो आपको पहले पिच्छे श्रेयकार है । जिन प्रतिमा का पूजन ही पहले पीछे हितकाकारण, सुखकाकारण, क्षम, अर्थात् कल्याण का कारण, निस्तार यानि मोक्ष का कारण और यही साथ में चलने वाली है अर्थात् देवता सम्बन्धी मुवनादि सब ही रहेंगे और प्रभुपूजा रूप करणी ही आपके साथ चलने वाली है। ऋषिजी ! इससे अधिक आप पूजा के लिये क्या प्रमाण चाहते हो । जो आपके ही किया हुआ यह अनुवादित सूत्र पाठ है । यदि ऋषिजी के हृदय में पक्षपात का भूत नहीं होता तो जैसे आपने प्रभुवन्दन और चारित्र का फल के लिये यावत् मोक्ष बतलाया है इसी प्रकार मूर्तिपूजा का फल के लिये भी खुल्लम खुल्ला मोक्ष बतलाने में कदापि नहीं हिचकिचाते ? हम श्रीमान् ऋषिजी के अनुवादित सूत्र पाठ यहाँ पतला कर स्पृष्ट कर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003204
Book TitleMurtipooja ka Prachin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1936
Total Pages576
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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