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नवयुग निर्माता
करें ! इतना वार्तालाप करने के बाद उन्होंने एक श्रादमी को उपाश्रय भेज कर छगनलाल को बुला लिया। आते ही छगनलाल ने भाई के चरणों में झुककर प्रणाम किया और भाई ने आशीर्वाद दिया । कुछ क्षणों तक तो दोनों ओर मौन का साम्राज्य रहा, फिर खीमचन्द भाई वोले-तुमने बडौदे से चलते समय मेरे साथ वायदा किया था कि मैं पालीताणा से चौमासे बाद वापिस बडौदे आजाऊंगा सो तुम क्यों नहीं आये ?
छगनलाल-इसलिए कि मेरे को अब घर से मोह नहीं रहा, अब रही बडौदे आने की बात, सो बडौदे आऊंगा, जरूर आऊंगा, मगर इस वेष में नहीं। मेरा और आपका भला तो इसी में है कि आप अपने घर जावें और मैं यहां अपने घर-गुरु चरणों में रहूँ। आप मेरी इस नम्र प्रार्थना को अवश्य स्वीकार करने की कृपा करें !
र खीमचन्द भाई-तेरा यदि ऐसा ही विचार है तो मैं तुमको रोकता नहीं, तुम दो वर्ष बाद दीक्षा ले लेना।
छगनलाल-(कुछ ओजस्वी शब्दों में) बड़ी खुशी से,दो नहीं पांच वर्षों बाद दीक्षा ले लूगा. मगर एक शर्त पर, आप मुझे पूरे प्रमाण के साथ यह लिख कर दे दें कि तू पांच वर्ष तक नहीं मरेगा !
___ यह सुन कर खीमचन्द भाई तो अवाक् से रह गये। तब पास में बैठी हुई उनकी बूबा ने खीमचन्द भाई से कहा कि यह अब तुम्हारे वश में नहीं रह सकता, अब इसमें उत्तर देने का साहस श्रा गया है। अब तो तुम्हें यही मुनासिब है कि खुशी २ इसके मन की करो। .. तब खीमचन्द भाई ने उसे साधु के कर्तव्य पालन, धर्म निरत रहने, और कुल का नाम उज्ज्वल करने की बात कही जिसे छगनलाल ने सहर्ष स्वीकार करते हुए कहा-भाई साइब आप इसकी बिल्कुल चिन्ता न करें ! ऐसे गुरुदेव की छत्र छाया में रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है तो धर्म का पालन भी बराबर होगा, आप मुझे प्रसन्न हृदय से आशीर्वाद देदेवें ताकि मैं अपने देव दुर्लभ मानवभव को सफल कर सकू', इतना कहने के साथ ही वे अपने भाई और बूआ के चरणों में गिर पड़े। भाई और बूआ ने सजल नेत्रों से उसे उठा कर गले लगाया और शुभ आशीर्वाद दिया। इतने में सेठ मोहनलाल ने कहा कि भोजन का समय होगया आप भोजन कर लें! सबने साथ बैठ कर भोजन किया, छगनलाल तो भोजन करते ही उपाश्रय में चला आया और पाकर महाराजजी को घर में हुई सारी बात चीत संक्षेप से कह सुनाई। खीमचन्दु भाई भी भोजन करने के बाद सेठ मोहनलाल के साथ उपाश्रय में गुरु महाराज के पास आये और विधिपूर्वक वन्दना नमस्कार करने के अनन्तर बोले-महाराज ! छगन की दीक्षा इतनी जल्दी कैसे होगी ? एकम तो परसों को है सिर्फ कल का दिन बीच में है इतने स्वल्प समय में कैसे प्रबन्ध हो सकेगा, कृपया :
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