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शासननायक श्रमण भगवान महावीर स्वामी से लेकर श्री विजयानन्द सूरि श्री आत्मारामजी की पाट परम्परा की गणना करते हुए वे वीरप्रभु से ७३ वें पाट पर आये प्रमाणित होते हैं। इस पाट परम्परा की सूची इस प्रकार है
१ श्री सुधर्मा स्वामी जम्बूस्वामी
२
प्रभव स्वामी
सय्यंभत्र सूरि
यशोभद्रसूरि
संभूतविजय सूर
श्री भद्रबाहु स्वामी
३
४
५
६
49
७
"
31
"
अध्याय ८६
"पाट परम्परा का अनुसन्धान"
44
53
स्थूलभद्र स्वामी
सुस्ती सूर
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" मूल पुरुष श्रमण भगवान महावीर स्वामी"
१० श्री इन्द्रदिन सूरि
५५
श्रीदिन सूरि
12
सिंहगिरि सूरि
१३
१४
१५
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१७
१८
१६
52
वज्र स्वामी
बसेन सूरि
,, चन्द्र सूरि +
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13
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सामन्त भद्रक
वृद्धदेव सूरि
प्रद्योतन सूरि
६ सुस्थित सूरि तथा x
मानदेव सूर
३० "
३१
सुप्रतिबुद्ध सूरि
२०, मानतुंग सूरि
x इन्होंने सूर मन्त्र का एक कोटी जाप किया इससे निर्ग्रन्थ गच्छ का "कोटिक गच्छ" नाम प्रसिद्ध हुआ ।
+ इनसे कोटिक गच्छ का चन्द्र गच्छ नाम पड़ा ।
$ इनसे बनवासी गच्छ प्रसिद्ध हुआ ।
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२१ श्री वीर सूरि
२२
२३
२४
२५
२६
२७
२८
२६
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जयदेव सूरि
देवानन्द सूरि
विक्रम सूरि
नरसिंह सूरि
29
समुद्रसूरि मानदेव सूर
विबुधप्रभ सूरि
जयानन्द सूरि रविप्रभ सूरि यशोदेव सूर
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