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________________ ३०२ नवयुग निर्माता की इस बात को सुनते ही यति जी तो आग बबूला हो उठे और उत्तेजित होकर कहने लगे - मुनीमजी ! क्या कह रहे हो, यहां पंजाब के एक संवेगी साधु का सामैया होगा ? हरगिज नहीं । यदि ऐसा किया गया तो याद रखना कइयों के सिर फूटेंगे । सामैया करने वालों को कहना कि तैयार होकर | यह अनोखी बात मैं नहीं होने दूंगा । मुनीमजी - ( जरा उत्तेजित होकर ) यतिजी महाराज ! जरा होश संभालो और शांति से बात करो । आपको पता हैं यह सामैया किस की तरफ से हो रहा है। अहमदाबाद के सेठों की प्रेरणा से पालीताणा दरबार की तरफ से हो रहा है। सरकार खुद इसका प्रबन्ध करना स्वीकार किया है और सामैये में गड़बड़ करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा देने का पुलिस अफसर को आदेश दे दिया है । मैं मित्रता के नाते आपको समझाने आया हूँ। कहीं अपनी गुँडा पार्टी के नाज़ में आप कोई छेड़खानी न कर बैठें, अन्यथा जेल की हवा खाने को तैयार रहिये । सामैया तो होगा और होगा । मुनीमजी के इस ओजस्वी ने तो यति वीरकाजी के पांव से मिट्टी निकाल दी और ठंडे पड़ गये । जब मुनीमजी उठने लगे तो उनका हाथ पकड़ कर बैठाते हुए यतिजी बोले कि भाई दुल्लभजी ! आपने बहुत अच्छा किया जो मुझे सारी परिस्थिति से सूचित कर दिया, अन्यथा न जाने मुझ से क्या अनर्थ हो जाता, जिसका परिणाम अत्यन्त निकलता, मैं जो कुछ भी करूंगा सोच विचार कर करूंगा ! भाषण दूसरे दिन प्रातःकाल क्या देखते हैं, पुलिस के नौजवान हाथ में डंडे और हथकड़ियां लिये हुए चारों तरफ गश्त कर रहे हैं। इधर सामैये का जलूस बैंड बाजों के साथ भगवान के जयकारे बुलाता हुआ नगर के दरवाजे पर पहुँच गया। तब एक पुलिस अफसर ने बहुत से नौजवानों को साथ लेकर [ जिनके पास दंडे और हथकड़िये थीं ] वीरका जी यति के उपाश्रय को चारों ओर से आकर घेर लिया । यह देख यतिजी बड़े हैरान हुए और पुलिस आफीसर श्री भीमाजी से लड़खड़ाती हुई जबान से बोले सरकार ! क्या बात है ? आप पुलिस को साथ लेकर कैसे आये हैं ? भीमाजी - महाराज ! आपकी सेवा के लिए हाजर हुए हैं, सो जैसी सेवा कराने की आपकी इच्छा हो, वैसी करने को तैयार हैं । यति वीरकाजी - मैं आपके कथन का मतलब नहीं समझ पाया, हजूर ! श्री भीमाजी - आपको पता ही होगा हमारे इस पालीतारणा नगर में आज पंजाब के विख्यात जैन मुनिराज श्री आत्मारामजी अपने शिष्य समुदाय के साथ पधार रहे हैं। उनका स्वागत प्रवेश महोत्सव पालीताणा दरबार की ओर से किया जा रहा है और जलूस दरवाजे पर पहुँच गया है। सरकार को खबर मिली है कि वीरकाजी यति कुछ तौफान करने पर आमादा हो रहे हैं । तब सरकार ने आपकी हिफाजत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003203
Book TitleNavyuga Nirmata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayvallabhsuri
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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