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________________ २६२ नवयुग निर्माता % C कस्तूरीलाल के दीक्षा समारोह को देख कर लहरुभाई की माता के भाव बदल गये और वह पश्चाताप करती हुई महाराजश्री से दीक्षा न देने के बदले दीक्षा देने की प्रार्थना करने लगी, परन्तु अब पछताये क्या होत है जब चिड़ियां चुग गई खेत' इस लिए लहरुभाई की दीक्षा बड़ौदे के बदले मातर गांव में सम्पन्न हुई । ___मातर से विहार करके खेड़ा होते हुए आप अहमदाबाद पधारे । अहमबाद के जैनसंघ ने बड़े समारोह के साथ आपका सप्रेम स्वागत किया और नगर सेठ के द्वारा कुछ दिन ठहर कर यहां की भाविक जनता को उपदेशामृत पिलाने की प्रार्थना की, जिसे आपने प्रसन्नता पूर्वक स्वीकार किया और जितने दिन ठहरे उतने दिन नियत समय पर अपना धर्मोपदेश चालु रक्खा जिससे स्थानीय जैन जनता को बहुत लाभ मिला। नोट-पाठकों को इतना स्मरण रहे कि इस पुस्तक के पृ० २६९-७० में श्रमणभगवान् महावीरस्वामी के समय में साधु साध्वी के विचरने लायक क्षेत्रों की मर्यादा के सम्बन्ध में जो कौशांबी का वर्णन अाया है उसकी चर्चा का समय यह था जबकि अाप पालीताणा में चातुर्मास करने के निमित्त अहमदाबाद पधारे सं० १६४२ में। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003203
Book TitleNavyuga Nirmata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayvallabhsuri
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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