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________________ अध्याय ७६ बडोदे के बदले मातर गांध --- - बड़ौदे आने के बाद आपको यह शुभ समाचार मिला कि पालीताणा दरबार से श्री शत्रुञ्जय तीर्थ सम्बन्धी जो तकरार चल रही थी ( जिसके परिणाम स्वरूप बहुत समय से तीर्थयात्रा बन्द हो रही थी ) उसका फैसला होगया। यह सुनकर आपको बड़ी प्रसन्नता हुई और कई एक श्रावकों की प्ररेणा से इस परमपवित्र तीर्थ की छाया तले [पालीताणा में ] चातुर्मास करने की आपकी इच्छा हुई, एतदर्थ आपने बडौदे से बिहार कर दिया। वहां से छाणी, उमेटा बोरसद और पेटलाद आदि नगरों में विचरते हुए मातर गांव में पधारे। यहां पर पांचवें तीर्थंकर श्री सुमतिनाथ [ जो कि गुजरात में सांचेदेव के नाम से विख्यात हैं । के दर्शनों का अलभ्य लाभ प्राप्त किया और इन्हीं देव के समक्ष पाटन शहर के रईस श्री लहरु भाई [जिनकी आयु अनुमान १८ वर्ष की थी ] को आपने साधु दीक्षा से अलंकृत किया तथा श्री हंसविजयजी का शिष्य घोषित करते हुए “सम्पद् विजय" इस पुनीत नाम से सम्बोधित किया। यद्यपि लहरुभाई की दीक्षा बडौदे में होनी निश्चित हुई थी। श्री हंसविजयजी के पूर्वाश्रम के पिता सेठ जगजीवनदासजी ने बड़े समारोह से दीक्षा दिलाने का सारा प्रबन्ध भी कर लिया था परन्तु लहरुभाई की माता ने किसी असाधु पुरुष की प्रेरणा से तोफान करना शुरु कर दिया अर्थात् लहरूभाई को दीक्षा न देने का महाराज श्री आनन्दविजयजी से साग्रह अनुरोध किया ! परन्तु आपतो ऐसी दीक्षा को खुद ही पसन्द नहीं करते थे जिसमें किसी प्रकार का क्षोभ उत्पन्न हो, या दीक्षित के किसी निकट सम्बन्धी को कोई आपत्ति हो, इस लिए आपने लहरुभाई की माता को सान्त्वना देते हुए कहा कि माता ! तुम अपने मनमें जरा जितना भी ख्याल न करो आत्माराम बिना तेरी आज्ञा के इसे कभी दीक्षा नहीं देगा। इतने में सौभाग्यवश सूरत के रहनेवाला दीक्षार्थी कस्तूरीलाल वहां आ पहुँचा, और उसने दीक्षा के लिए आपसे प्रार्थना की, बस फिर क्या था लहरु भाई के निमित्त की गई दोक्षासम्बन्धी तैयारी का लाभ कस्तुरीलाल को मिलगया और बड़ौदा के श्री संघ ने इस दीक्षा महोत्सव में बढ़ चढ़ कर भाग लिया। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003203
Book TitleNavyuga Nirmata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayvallabhsuri
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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