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________________ नवयुग निर्माता विकास होगा ? एवं कौन जीव किस समय कहां उत्पन्न होकर कैसे विकास करेगा ? यह सब तो भविष्य के गर्भ में निहित है इस का प्रत्यक्ष अनुभव तो समय आने पर ही होता है। जब कि वह व्यक्त दशा को प्राप्त करे इससे पूर्व तो उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती । कौन जानता था कि लहरा नाम के क्षुद्रसे ग्राम में आकर बसे हुए एक क्षत्रिय परिवार में जन्म लेने वाला आत्माराम नाम का यह बालक भविष्य में आर्य संस्कृति की एक विशिष्ट परम्परा का महान आचार्य अथच क्रान्तिकारी युग पुरुष के रूप में विश्व-विश्रुत होगा । यह किसे खबर थी कि रूपादेवी जैसी ग्रामीण माता ने जिस बालक को जन्म दिया है भविष्य में वह उसी की गुणगरिमा के प्रभाव से वर्तमान युग में वैसी ही ख्याति प्राप्त करेगी जैसी कि अतीत युग में स्वनाम धन्य माता त्रिशला आदि देवियों को उनके पुत्र रत्नों की गुणगरिमा से प्राप्त हुई है। एवं हिंसक मनोवृत्ति-प्रधान युद्धप्रिय क्षत्रिय वीर गणेशचन्द्र को तो शायद स्वप्न में भी यह भान न हो कि उसका आत्मज अहिंसा का महान पुजारी होगा और उसी के बल पर वह अपने अन्तरंग शत्रुओं को पराजित करने में अपनी वीरता का सदुपयोग करेगा। गणेशचन्द्र महाराजा रणजीतसिंह की सेना में एक ऊंचे पदपर प्रतिष्ठित थे और उन्होंने समय समय पर तलवार के बल से अपने को एक विजयी सैनिक प्रमाणित किया था। वे हंसमुख मिलनसार और दृढ़काय पुरुष थे। आपके पूर्वज पिंडदादन खान के पास कलश नामा ग्राम में रहते थे और आप रामनगर के पास कस्बा फालिया में थानेदार थे । आपने धीरे धीरे महाराजा रणजीतसिंह की सेना में एक ऊंचे अधिकार को प्राप्त कर लिया। महाराजा रणजीतसिंह की आज्ञा से आप हरि के पत्तन पर-जहां सतलुज और व्यास नदी का संगम है-एक सहस्र सैनिकों के साथ अधिकारी नियत हुए । नौकरी का समय समाप्त होने के बाद स्थान आदि की अनुकूलता जलवायु की स्वच्छता से आकर्षित होने के कारण आप वहीं पर रहने लगे। आप की जगह राजकुंवर ठेकेदार को महाराज ने नियुक्त किया । राजकंवर प्रायः लहरा और जीरा में आया जाया करते थे, उनके सम्बन्ध से और समय के परिवर्तन से आपने लहरा को अपना निवास स्थान बनाया और जीरा में जो कि लहरा के समीप ही है-भी आने जाने के क रण वहां के रईस लाला जोधे शाह ओसवाल से आपकी मैत्री हो गई । जोधामलजी भी लहरा में आया जाया करते थे । जब कभी आपके घरमें आते तो वालक आत्माराम से बहुत प्यार करते उसे गोद में लेकर बहुत खिलाते और बड़े प्रसन्न होते। __ सोढी अत्तरसिंहजी एक अच्छे जागीरदार महन्त थे। राजदरबार में भी उनकी अच्छी प्रतिष्ठा थी। वे अन्य विषयों के साथ साथ सामुद्रिक शास्त्र में भी प्रवीण थे। उनका भी प्रायः लहरा ग्राम में आना जाना होता था । गणेशचन्द्रजी से उनका अच्छा परिचय था। एक दिन बालक आत्माराम के विशाल मस्तक और संगठित शरीर के अन्यहस्तपादादि अवयवों को देखते हुए उन्होंने कहा-कि यह बालक भविष्य में या तो राजा होगा या राज्यमान्य राजगुरु होगा। वे जब कभी लहरा में आते तो बालक आत्माराम को स्नेह भरी दृष्टि से देखते और घंटों तक उससे प्यार करते रहते। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003203
Book TitleNavyuga Nirmata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayvallabhsuri
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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