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अनीश्वरवाद भी नास्तिकता का कारण नहीं
कथन को यथार्थ समझना चाहिये इसका विचार आप स्वयं कर सकते हैं। इसी प्रकार के उनके अन्य सिद्धान्त हैं जिनपर कि विचार करने का आज तो अवसर नहीं है कभी फिर अवसर मिला तो उनपर भी यथामति विचार प्रस्तुत किया जासकता है। आज तो आप इतने मात्र से ही सन्तोष करें ।
श्री प्रतापसिंहजी - हाथ जोड़ते हुए, महाराज ! आप जैसे शास्त्रनिष्णात त्यागमूर्ति महापुरुष समागम से मुझे धर्मसम्बन्धि जो अलभ्य लाभ प्राप्त हुआ है उससे मैं अपने आपको अधिक से अधिक भाग्यशाली मानता हूँ | यह मेरे किसी पूर्वजन्म के शुभ कर्म का प्रत्यक्ष फल है जो आप जैसे आदर्शजीवी महापुरुष का पुण्य सहयोग मिला। मैं आपश्री का बहुत २ आभारी हूँ, कभी फिर आप यहां पधारें तो मुझे दर्शन का लाभ अवश्य देने की कृपा करें। इतना कहकर हाथ जोड़ नमस्कार किया और वहां से विदा हुए। जोधपुर के श्री संघ ने आपश्री की अपूर्व विद्वत्ता, प्रतिभा और चारित्रनिष्ठा आदि विशिष्ट गुणों से प्रभावित होकर आपको “न्यायाम्भोनिधि” विरुद प्रदान किया तब से आप "न्यायाम्भोनिधि जैनाचार्य श्री विजयानंद सूरि" इस नाम से विख्यात हुए। इस प्रकार जोधपुर में जैनधर्म की आशातीत प्रभावना करके आपने पाली की ओर विहार कर दिया ।
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4. INDIA
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