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नवयुग निर्माता
गुरुमहाराज - भाई ! तुम लोगों की विनति तो मुझे स्वीकार है परन्तु इस वक्त हमारा एक साधु पड़ा है अतः यह नहीं कहा जा सकता कि यहां से कब बिहार होगा, यदि ज्ञानी क्षेत्र फरसना देखी होगी तो बिहार के समय देखा जायगा, हमने गुजरात को जाना है सो जोधपुर होते हुए चले जायेंगे । सरकार को हमारी तर्फ से धर्मलाभ कह देना । महाराज श्री को विधिपूर्वक वन्दना नमस्कार करने के अनन्तर विनति करने वाले श्रावकों ने वापिस जोधपुर आकर सरकार को सब समाचार सुना दिया ।
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जोधपुर दरबार – (उक्त समाचार को सुनकर ) - हमारी इस नगरी का यह अहोभाग्य है जो कि दो महान व्यक्तियों का मिलाप होगा और उनके मुखारविन्द से धर्म सम्बन्धी वार्तालाप सुनने का शुभ अवसर प्राप्त होगा । उससे मुझे और मेरी प्रजा को जो लाभ होगा उस का तो कहना क्या है । अच्छा ! उस शुभ दिन की प्रतीक्षा करनी होगी ।
जिस समय जोधपुर दरबार यह कह रहे थे उस समय स्वामी दयानन्द सरस्वतीजी भी वहां पर उपस्थित थे उन्होंने भी इस समाचार का सहर्ष अनुमोदन किया और कहा कि वह दिन मेरे लिये भी बड़े हर्ष का होगा जबकि पंजाब के एक सुप्रसिद्ध विद्वान् जैन मुनि का मिलाप होगा और उससे धर्मसम्बन्धी वार्तालाप का अवसर मिलेगा ।
इतने वार्तालाप के बाद श्रावक लोग तो वहां से विदा होकर अपने २ घरों को वापिस आ गये, सरकार और स्वामी जी वहीं पर विराजे रहे ।
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