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अपूर्व स्वागत
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आपका स्वागत किया । मंगलाचरण के अनन्तर अपना धर्मप्रवचन भारम्म करते हुए सर्वप्रथम आपने गुजरात देश में अपने आने का प्रयोजन बतलाया और कहा कि साथ के सब साधुओं की इच्छा शीघ्र से शीघ्र तीर्थराज श्री सिद्धाचलजी की यात्रा करने की है, इसलिये मेरा अधिक दिनों तक यहां पर ठहरना इस समय नहीं हो सकेगा। श्री सिद्धाचल जी की यात्रा करने के बाद इधर आने का भाव है सो यदि ज्ञानी ने अपने ज्ञान में देखा होगा और क्षेत्र फर्सना हुई तो अवश्य आऊंगा । इतना कहने के बाद आपने जो धर्मोपदेश दिया उससे उपस्थित जनता इतनी प्रभावित हुई कि उसने नगर सेठ श्री प्रेमाभाई को बड़े आग्रह भरे शब्दों में आप श्री को कुछ दिन तक ठहराने के लिये अनुरोध किया और आपश्री से भी कुछ दिन रहकर अपना प्रवचनामृत पान कराने की विनम्र प्रार्थना की।
जनता की प्रेम भरी प्रार्थना को मान देते हुए आपने कुछ दिनों के लिये ठहरने की स्वीकृति देदी। स्वीकृति मिलते ही सब ने आपके नाम का जयकारा बुलाते हुए हर्षपूरित मन से अपने २ घरों का रास्ता लिया-मनमें अगले दिन के प्रवचनामृत को पान करने की अभिलाषा को लिये हुए ।
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