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________________ अहमदाबाद के सेठों का सद्भाव प्रदर्शन कष्टसाध्य मार्ग में सुखसाता से चले आ रहे हैं ! अब तो किसी प्रकार की कठिनाई नहीं रही, स्थान २ पर श्रावकों के घर हैं, आहार पानी की सुलभता है और रात्रि निवास में कोई कष्ट नहीं, इसलिये हमारी बिहार यात्रा में किसी प्रकार की भी सुविधा की जरूरत नहीं है । अहमदाबाद के नगरसेठ और उनके साथी सेठ श्री दलपतभाई भग्गूभाई आदि ने हमारे प्रति जो सद्भाव प्रदर्शित किया है वह उनके आदर्शभूत श्रावक धर्म के सर्वथा अनुरूप ही है। महाराज श्री आत्मारामजी के इस कथन को सुनकर उक्त दोनों गृहस्थों ने नम्रता पूर्वक कहा-महाराज ! साधारण साधुसाध्वी का भी अपना विशेष पुण्य होता है जिसके आधार पर वे अपनी संयम यात्रा का सुखपूर्वक पालन करते हैं, और आप जैसे विशिष्ट पुण्यवान महापुरुषों के विषय में तो कहना ही क्या है, वे तो जहां भी पधारें वहां पर ही सब प्रकार की सुविधायें उनके लिये उपस्थित रहती हैं, परन्तु श्रमणोपासक गृहस्थों का भी यह कर्तव्य है कि वे गुरुजनों के प्रति अपनी सद्भावना और भक्तिभाव का उपयोग करने में पीछे न रहें । अतः सेठजी के आदेशानुसार आपकी बिहार यात्रा में अहमदाबाद तक हम आपके साथ रहने की आपसे नम्र प्रार्थना करते हैं । श्री आत्मारामजी-दोनों श्रावकों की ओर देखकर, अच्छा भाई जैसी तुम्हारी इच्छा ! हम तुम्हारे इस सद्भाव पूर्ण भक्तिभाव को अकारण ठुकराना भी नहीं चाहते । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003203
Book TitleNavyuga Nirmata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayvallabhsuri
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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