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अध्याय ३३
अहमदाबाद के सेठों का सभा प्रदर्शन
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महाराज श्री आत्मारामजी की धार्मिक क्रान्ति केवल पंजाब तक ही सीमित नहीं रही, किन्तु पंजाब से बाहर मारवाड़ और गुजरात आदि देशों को भी स्पर्श करते हुए वहां की जैन जनता को प्रभावित किया । वह उस दिन की प्रतीक्षा बड़ी आतुरता कर रही थी जब कि आप जैसे प्रभावशाली महापुरुष के दर्शन और प्रवचन का उसे सौभाग्य प्राप्त हो । महाराज श्री आत्मारामजी ने अपने कतिपय साधुओं के साथ पंजाब से अहमदाबाद के लिये विहार कर दिया है और वे ग्रामानुग्राम विचरते हुए पाली तक पहुंच गये हैं, ऐसा समाचार जब अहमदाबाद के नगर सेठ श्री प्रेमाभाई हेमाभाई और उनके साथी सेठ दलपतभाई भग्गूभाई को मिला तो उन्होंने दो श्रावकों को पाली में भेजा और उन्हें आदेश दिया तुम महाराज श्री आत्मारामजी सुविधापूर्वक अहमदाबाद ले आओ विहार यात्रा में उन्हें किसी प्रकार का कष्ट न होने पावे इसका पूरा २ ध्यान रखना ।
जिस समय श्री आत्मारामजी अपने साधु समुदाय के साथ पाली में पधारे उस समय दोनों श्रावक आपकी सेवा में उपस्थित हुए और विधि सहित वन्दना नमस्कार करने तथा सुखसाता पूछने बाद उन्होंने आपसे कहा -महाराज ! हमें अहमदाबाद के नगर सेठ श्रीयुत प्रेमाभाई हेमाभाई तथा सेठ दलपतभाई भग्गूभाई ने आपकी सेवा में भेजा है। आप पहले पहल इस देश में पधार रहे हैं और मार्ग से बिलकुल अपरिचित हैं, विहार यात्रा में आपको कोई कष्ट न हो इसकी सुविधा के लिये अहमदाबाद तक आपकी सेवा में उपस्थित रहने के लिये आये हैं ।
श्री आत्मारामजी-साधु साध्वी के बिहार में रास्ते का उपयोग रखना यह श्रावकों का धर्म ही है । और इसी धार्मिक भावना से प्रेरित होकर उक्त दोनों धर्मात्मा पुरुषों ने हमारी विहार यात्रा के सुविधार्थ तुमको यहां भेजा है परन्तु हमारे लिये किसी प्रकार के प्रबन्ध की आवश्यकता नहीं, हम तो इससे भी
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