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विरोधी दल का सामना
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आपके इस कथन को सुनकर वहां आपके पास बैठे हुए गृहस्थों में से एक समझधार व्यक्ति ने हाथ जोड़कर कहा-कि महाराज ! हम लोग तो बिलकुल अबोध हैं आप ज्ञानी पुरुष हैं आप जो कुछ फरमा रहे हैं वह ठीक ही होगा, और पूज्यजी साहब जो कुछ कह रहे हैं वह भी अपने विचार से ठीक ही कहते होंगे यह तो साधुओं का आपस का झगड़ा है इस में हम लोगों को किसी तरह का दखल नहीं देना चाहिये, हमारे तो
आप भी पूज्य हैं और पूज्यजी साहव भी । गृहस्थ के लिये तो चारित्रशील सभी साधु वन्दनीय हैं । मेरी तुच्छ बुद्धि को तो यही उचित लगता है।
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