SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 158
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अध्याय १६ श्री चन्दनलालजी आदि साधुओं को प्रतिबोध -: :बिनौली के चतुर्मास की समाप्ति के बाद विहार करके ग्रामानुग्राम विचरते हुए आप "डोगर" नाम के एक ग्राम में पधारे। यहां पर आपको रणजीतमल नाम का एक ओसवाल गृहस्थ मिला, यह मारवाड़ से पंजाब की तरफ जाने के लिये साधु श्री रामबख्श के साथ आया हुआ था। इससे पूर्व भी यह श्री आत्मारामजी से जयपुर और दिल्ली आदि के चतुर्मास में कई दफा मिल चुका था। तब श्री आत्मारामजी ने अपना पुराना परिचित समझकर उसे वीतराग देव के धर्म का वास्तविक स्वरूप समझाने का काफी यत्न किया परन्तु परिणाम कुछ न निकला। सत्य है चन्दन के वृक्ष के साथ के अन्य वृक्ष उसकी सुगन्धी से चन्दन बन जाते हैं परन्तु वांस कोरा बांस ही रहता है-उस पर चन्दन का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। यहां भी ऐसी ही बात बनी। ___परन्तु श्री आत्मारामजी के कथन से रणजीतमल के हृदय में ढूंढक मत के विषय में कुछ सन्देह तो अवश्य उत्पन्न हो गया, उसे दूर करने के लिये वह योगराजिये-योगराज के टोले के साधु श्री रूड़मलजी के शिष्य श्री चन्दनलाल साध को साथ लेकर श्री आत्मारामजी के पास लाया और कहा कि आप इन से वार्तालाप करें। - श्री चन्दनलालजी ने श्री आत्मारामजी से साधु के उपकरण और प्रतिक्रमण के विषय में वार्तालाप शुरू किया। तब आत्मारामजी ने शास्त्रों के पाठ निकालकर चन्दनलालजी को दिखलाये, देखते ही श्री चन्दनलालजी ने श्री आत्मारामजी से कहा कि आप जो कुछ कहते हैं वह सर्वथा सत्य और उपादेय है । यह सुनकर रणजीतमल तो अवाक् सा रहगया । वह जिस महानुभाव को आत्मारामजी के पास उन्हें पराजित करने की भावना से लाया था उस पर ओस पड़गई। श्री चन्दनलालजी ने तो श्री श्रआत्मारामजी की सत्य प्ररूपणा के आगे स्वयं घुटने टेक दिये । परन्तु इतने पर भी रणजीतमल ने अपने दुराग्रह का परित्याग नहीं किया। ऐसे लोगों के लिये एक कवि की निम्न लिखित सूक्ति बहुत ही अच्छी जचती है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003203
Book TitleNavyuga Nirmata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayvallabhsuri
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy