SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 85
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ब्राह्मण भगवान के दर्शन के लिये कुटदन्त के प्रसाद के आगे से जा रहे थे तो कुटदन्त के मन में विचार आया कि श्रमण गौतम सोलह परिष्कारों वाली त्रिविध यज्ञ सम्पदा को जानता है । मैं महायज्ञ करना चाहता हूँ क्यों न श्रमण गौतम के पास चलकर सोलह परिष्कारों वाली त्रिविध यज्ञ सम्पदा को पूछ् । उस समय जो ब्राह्मण कुटदन्त के महायज्ञ का उपभोग करने के लिये इकट्ठे हुए थे वे कुटदन्त से कहते हैं कि आप श्रमण गौतम के दर्शनार्थ जाने योग्य नहीं हैं, श्रमण गौतम ही आपके दर्शनार्थ आने योग्य है। लेकिन कुटदन्त के मुख से बुद्ध की प्रशंसा सुनकर वे ब्राह्मण भी उनके दर्शनार्थ जाते हैं । वहाँ जाकर कुट दन्त भगवान से सोलह परिष्कार सहित त्रिविध यज्ञ सम्पदा का उपदेश सुनने की इच्छा व्यक्त करता है। तब भगवान कहते - पूर्व काल में अति वैभव सम्पन्न महाविजित नामक राजा था। उसके मन में महायज्ञ करने का विचार आता है । तब वह पुरोहित ब्राह्मण को बुलाकर कहता है कि मुझे ऐसा महायज्ञ बताओ जो चिरकाल तक मेरे हित सुरक्षा के लिये हो । पुरोहित ने कहा- इस समय आपके राज्य में शांति नहीं है आप ऐसा यज्ञ करें जिससे लोग आनन्द से जोवन बितायें। पुरोहित की बात सुनकर देखिये राजा क्या करता है और उसका क्या प्रभाव होता राजा के जनपद में जो कृषि, गो-रक्षा करना चाहते थे. उन्हें राजा ने बीज भत्ता सम्पादित किया। जो राजा के जनपद में वाणिज्य करने के उत्साही थे, उन्हें पूजी सम्मादित की। जो राज पुरुषाई में उत्साही हुए उनका भत्ता-वेतन ठीक कर दिया। उन मनुष्यों ने अपने-अपने काम में लग, राजा के जनपद को नहीं सताया। राजा को महान धनराशि प्राप्त हुई । जनपद अकंटक, अपीड़ित क्षेम युक्त हो गया। मनुष्य हर्षित, मोदित, गोद में पुत्रों को नाचत से खुले घर विहार करने लगे। तब राजा महाविजित ने ब्राह्मण पुरोहित को बुलाकर कहा कि मेरे पास महाराशि है। मैं ऐसा महायज्ञ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003202
Book TitleVibhinna Dharm Shastro me Ahimsa ka Swarup
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNina Jain
PublisherKashiram Saraf Shivpuri
Publication Year1995
Total Pages184
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy