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समर्पण
२० वीं शताब्दी में जो जैन साहित्य एवं इतिहास को प्रकाश में लाये एवं जिनके ग्रन्थ भण्डार का मैंने पूर्ण उपयोग किया उन्हीं इतिहासवेत्ता श्री विजयेन्द्र सूरि जी को सादर समर्पित ।
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सेविका कु. नीना जैन
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