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________________ ( 34 ) (ब) धार्मिक नीति का क्रमिक विकास अकबर के प्रारम्भिक धार्मिक विचार अकबर 1556 में सिंहासन पर बैठा। सन् 1536 से 1562 तक वह सच्चे मुसलमान शासक के समान था । मौलाना मुहम्मद हुसैन लिखते हैं कि "अठारह बीस बरस तक तो उसकी यह दशा थी कि वह मुसलमानी धर्म की आशाओं को उसी प्रकार श्रद्धा पूर्वक सुमता था जिस प्रकार कोई सीधा-साधा धर्म-निष्ठ मुसलमाम सुनता है और उन सब धार्मिक आशाओं का वह सच्चे दिल से पालन करता था"" । सिंहासनारोहण के प्रारम्भ के काल में तो वह सबके साथ मिलकर नमाज पढ़ता था, स्वयं अंजान देता था, मस्जिद में अपने हाथ से झाड़ू लगाता था, मुल्ला-मौलवियों का आदर किया करता था साम्राज्य के झगड़ों का निर्णय शरअ और मुल्लाओं के फतवे के अनुसार किया करता था, फकीरों ओर शेखों के साथ बहुत ही मिष्ठापूर्वक व्यवहार करता था उनकी कृपा तथा आशीर्वाद से लाभ उठाता था । मुहम्मद हुसैन ने यह भी लिखा है कि "अजमेर में, जहां खवाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है, अकबर प्रतिवर्ष जाया करता था । यदि कोई युद्ध अथवा और कोई कक्षा होती, या संयोगवश उस मार्ग से जामा होता तो वर्ष के बीच में भी वहां जाता था । एक पड़ाव पहले से ही पैदल चलने लगता था । कुछ मन्नतें ऐसी भी हुई जिनमें फतेहपुर या आगरे से ही अजमेर तक पैदल गया । वहाँ जाकर दरगाह में परिक्रमा करता था, हजारों लाखों रुपयों के चढ़ावे और भेटें चढ़ाता था । पहरों सच्चे दिल से ध्यान किया करता था और दिल की मुरादें मांगता था । फकीरों आदि के पास बैठता था, निष्ठापूर्वक उनके उपदेश सुनता था, ईश्वर के भजन और चर्चा में समय बिताता था । धर्म सम्बन्धित बातें सुनता था । और धार्मिक विषयों की छानबीन करता था । विद्वानों, गरीबों, फकीरों आदि को धन सामग्री और जागीरें आदि दिया करता था । जिस समय कब्बाल लोन धार्मिक गजलें गाते थे, उस समय वहाँ रुपयों और अर्शफियों आदि की वर्षा होती थी " या हादी यामुईन" का पाठ हर दम उसका जप किया करता था और सबको आज्ञा थी कि इसी का जप करते रहें । वहीं से सीखा था । तत्कालीन इतिहास लेखक बदायूँनी के अनुसार भी हमें पता चलता 1. अकबरी दरबार - हिन्दी अनुवाद - रामचन्द्र वर्मा पृष्ठ 67 2. अकबरी दरबार हिन्दी अनुवाद रामचन्द्र वर्मा भाग 1 पृष्ठ 68 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003201
Book TitleMugal Samrato ki Dharmik Niti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNina Jain
PublisherKashiram Saraf Shivpuri
Publication Year1991
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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