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________________ चन्दू संघवी को जहांगीर बादशाह का फरमान [ नम्बर 8] अल्ला हो अकबर हमेशा रहने वाला यह आलीशान फरमान तारीख 17 रजबुल्मुरमब हि० सम्वत् 1824 का है। अब इस फरमान आलीशान को प्रकट और प्रसिद्ध करने का महत्व का प्रसंग प्राप्त हुआ। हुक्म दिया जाता है कि-मापी हुई दस बीघे जमीन खम्भात के समीप चौरासी परगने के महम्मदपुर (अकबरपुर) गांव में निम्नलिखित नियमा. नुसार चन्दू संघवी को "मदद-ई-मुआश" नाकी मागीर खरीफ के प्रारम्भ नौशकाने ईल (जुलाई) महीने से हमेशा के लिए दी जाय, जिससे उसकी आमदनी का उपयोग हर एक फसल और हर एक साल में वह अपने खर्च के लिए करे और असीम बावशाही अखडित रहे इसके लिए वह प्रार्थना करता रहे । वर्तमान के एवं अब होने वाले अधिकारियों, पटवारियों, जागीरदारों तथा माल के ठेकेदारों को चाहिये कि वे इस पवित्र एवं ऊंचे हुक्म को हमेशा बजा लाने का प्रयत्न करें। ऊपर लिखे हुए जमीन के टुकड़े को नापकर और उसकी मर्यादा बांधकर वह जमीन चन्दू संघवी को दे दी जाये । इसमें कुछ भी फेरफार या परिवर्तन न किया जाये । एवं उसे तकलीफ भी न दी जाये । जैसे पट्टा बनाने का खर्च, जमीन कब्जे में देने का खर्च, रजिस्टरी का खर्च पटवार, फंड, तहसीलदार और दारोगा खर्च, बेगार, शिकार और गांव का खर्च, नम्बरदारी का खर्च, जेलदारी की प्रति सैकड़ा दो रुपये फीस, कानूनगो की फीस, किसी खास कार्य के लिए साधारण वार्षिक खर्च, खेती करने के समय की फीस और इसी समय सभी प्रकार की समस्त दीवानी सुल्तानी तकलीफों से वह हमेशा के लिए मुक्त किया जाता है। इसके लिए प्रतिवर्ष नवीन हुक्म और सूचना की आवश्यकता नहीं है। जो कुछ हुक्म दिया गया है। वह तोड़ा न जाये । सभी इसको अपना सरकारी कार्य समझे । तारीख 17 अस्फनदारमुझ इलाही महीना, 10 वां वर्ष दूसरी तरफ का अनुवाद ता० 21, अमरदाद, इलाही 10 वो वर्ष, · बराबर रजबुलमुरउजब हि सम्वत् 1024 की 17 वीं तारीख, गुरूवार । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003201
Book TitleMugal Samrato ki Dharmik Niti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNina Jain
PublisherKashiram Saraf Shivpuri
Publication Year1991
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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