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भानुचन्द्र एवं सिद्धिचन्द्रजी को जहांगीर का फरमान
[ नम्बर 7 ] बड़े कामों से सम्बन्ध रखने वाली, आज्ञा देने वालों, उनको अमल में लाने वालों, उनके अहलकारों तथा वर्तमान और भविष्य के मुआमलतदारों आदि और मुख्यतया सोरठ सरकार को शाही सम्मान प्राप्त करके तथा आशा रखके मालूम हो कि भनुचन्द्र यति और "खुशफहम" का खिताब वाले सिद्धिचन्द्र यति ने हमसे प्रार्थना कि " जजिया कर, गाय, बैल, भैंस और भैंसे की हिंसा प्रत्येक महीने के नियत दिनों हिंसा, मरे हुए लोगों के माल पर कब्जा करना, लोगों को कैद करना और सोरठ सरकार शत्रुन्ज्य तीर्थं पर लोगों से जो महसूल लेती है वह महसूल इन सारी बातों की आला अजरत ( अकबर बादशाह ने मनाई और माफ की है । इससे हमने भी हरेक आदमी पर हमारी मेहरबानी है इससे एक दूसरा महीना जिसके अन्त में हमारा जन्म हुआ है और शामिलकर, निम्नलिखित विगत के अनुसार माफी की है और हमारे श्रेष्ठ हुक्म के अनुसार अमल करना तथा विजयदेवसूरि और विजयसेनसूरि के जो वहां गुजरात में है हाल की खबरदारी करना और भानुचन्द्र तथा सिद्धिचन्द्र जब वहां आ पहुंचे तब उनकी सार सम्भालकर, वे जो कुछ काम कहें उसे पूरा कर देना, कि जिससे वे जीत करने वाले राज्य को हमेशा (कायम) रखने की दुआ करने में दत्तचित्र रहें। और " ऊना" परगने में एक बाड़ी है उसमें उन्होंने अपने गुरू हीरजी (हीरविजयसूरि) की चरण पादुका स्थापित की है । उसे पुराने रिवाज के अनुसार "कर" आदि से मुक्त समझ, उसके सम्बन्ध में कोई विघ्न नहीं डालना ।
लिखा (गया) तारीख 14
शहेरीवर महीना, सन् इलाही 55 पेटा खुलासा
फरवरदीन महीना, वे दिन कि, जिनमें सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में जाता है। ईद के दिन, मेहर के दिन, प्रत्येक महीने के रविवार, वे दिन कि जो सूफियाना के दो दिनों के बीच में आते हैं, रजब महीने का सोमवार, अकबर बादशाह के जन्म का महीना जो आबान महीना कहलाता है । प्रत्येक शमशी महीना का पहला दिन, जिसका नाम ओरमज है । बारह बरकत वाले दिन कि जो धावण महीने के अन्तिम छः दिन और भादो के पहले छः दिन हैं |
अल्ला हो अकबर.......
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