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________________ अनुक्रमणिका पृष्ठ संख्या 1-10 10-13 13-16 16-20 21-33 34.47 अध्याय-1 मुगल काल में जैन धर्म एवं भाचार्य परम्परा(अ) तपागच्छ के प्रमुख आचार्य (4) खरतरगच्छ के प्रमुख आचार्य (स) तत्कालीन हिन्दू समाज की स्थिति (द) प्राचीन जैनाचार्यों का सामाजिक योगदान अध्याय-2 अकबर को धार्मिक नोलि(१) धार्मिक नीति को प्रभावित करने वाले तत्व (ब) धार्मिक नीति का क्रमिक विकास अध्याय-3 अकबर का जैन आचार्यों एवं मुनियों से सम्पर्क तथा उनका प्रभाव(हौरविजयसूरि, शान्ति चन्द्रजी, भानुचन्द्रजी, सिद्धिचन्द्रजी, विजयसेनसुरि, जिनचन्द्रसूरि, जिनसिंहरि एवं अन्य जैन साधू) अध्याय-4 महामोर की धार्मिक नीतिधार्मिक नीति को प्रभावित करने वाले तत्व जहांगीर का धार्मिक दृष्टिकोण 48-108 109-116 116-119 अध्याय-5 120.135 नीर का जैन सन्तों से सम्पर्कचन्द्रजी, सिद्धिचन्द्रजी, जिनचन्द्रसूरि, मंसिहसूरि, विजयदेवपूरि, विवेकहर्ष, द, महानन्द, उदयहर्ष एवं अन्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003201
Book TitleMugal Samrato ki Dharmik Niti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNina Jain
PublisherKashiram Saraf Shivpuri
Publication Year1991
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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