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________________ परिशिष्ट 8 स्मिथ के पत्र का हिन्दी अनुवाद अकबर बादशाह ईश्वर और सूर्य को पूजता है, और वह हिन्दू है व्रती सम्प्रदाय के अनुसार आचरण करता है । वे मठवासी साधुओं की भांति बस्ती में रहते हैं और बहुत तपस्या करते हैं । वे कोई सजीव वस्तु नहीं खाते हैं बैठने के पहले रूई (ऊन) की पीछी (साधुओं का एक उपकरण ) से जमीन का साफ कर लेते हैं ताकि जमीन पर कोई जीव रहकर उनके बैठने इन लोगों की मान्यता है कि संसार अनादि है, मगर दूसरे कहते संसार हो गये हैं ऐसी मूर्खतापूर्ण बातें लिखकर आप श्रीमान् को नहीं चाहता । से मर न जायें कि अनेक करना है चिन्तित 1. व्रती से तात्पर्य जैन साधुओं से ही है उस समय के बहुत से लेखकों ने जैन साधुओं के लिए व्रती शब्द ही लिखा हैं । For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003201
Book TitleMugal Samrato ki Dharmik Niti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNina Jain
PublisherKashiram Saraf Shivpuri
Publication Year1991
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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