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परिशिष्ट -7
जहांगीर बादशाह का विजयदेवसूरि के नाम पत्र ( अल्ला हो अकबर )
हक को पहचानने वाले, योगाभ्यास करने वाले विजयदेवसूरि को, हमारी खास मेहरबानी कर हासिल हो कि, तुमसे "पत्तन" में मुलाकात हुई थी इससे एक सच्चे मित्र की तरह (मैं) तुम्हारे प्राय: समाचार पूछता रहता हूं । ( मुझे ) विश्वास है कि तुम हमारे साथ सच्चे मित्र का ( तुम्हारा ) जो सम्बन्ध है उसको नहीं छोड़ोगें । इस समय तुम्हारा शिष्य दयाकुशल हाजिर हुआ है। तुम्हारे समाचार उसके द्वारा मालुम हुए । इससे हमें बड़ी प्रसन्नता हुई । तुम्हारा शिष्य भी अच्छी तरह तर्क शक्ति रखने वाला और अनुभवी है। यहां योग्य जो कुछ काम हो वह तुम अपने शिष्य को लिखना (जिससे ) हुजूर को मालुम हो जाये । हम उस पर हरेक तरह से ध्यान देंगे । हमारी तरफ से बेफिक्र रहना और पूजने लायक जान की पूजा कर हमारा राज्य कायम रहे इस प्रकार की दुआ करने में लगे रहना ।
लिखा ताo 19, महीना शाहबान, हिजरी सन् 1027
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