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मेरे इस कार्य को सफल बनाने में परम श्रद्धेय पन्यास श्रीनित्यानन्द विजयजी, गणि श्री सुयश मुनि जी एवं मुनि श्री चिदानन्द विजयजी (मेरे भाई) समय-समय पर मुझे प्रोत्साहित करते रहे इसलिए उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए मैं पुलक का अनुभव कर रही हूं।
इसके साथ ही प्रस्तुत ग्रन्थ में विभिन्न विद्वानों और इतिहासकारों के संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी, गुजराती, प्राकृत ग्रन्थों एवं पत्रिकाओं से भी मुझे असीम सहायता प्राप्त हुई है । अतः उन विद्वानों व इतिहासकारों की मैं हार्दिक आभारी हूं।
कु. नीना जैन सन्त पंचमी सम्वत् 2047 सन् 1991 म सम्वत् 68 श्री खजान्चीलालजी जैन द्वारा, श्री यशपाल कीमतीलालजी जैन कपड़े के थोक विक्रेता शिवपुरी (म. प्र.)
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