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________________ ( 74 ) है। कथा का आशय तो यह है कि अल्लाहताला ने इब्राहीम पैगम्बर की परीक्षा लेने के लिए इस प्रकार का प्रयत्न किया था। अब क्या अल्लाहताला ने हुक्म दिया है जैसा कि इब्राहीम पैगम्बर को दिया था। यदि ऐसा है तो इब्राही पैगम्बर की तरह ही अपने पुत्र की बलि देने को तैयार होना चाहिए बाद में अल्लाहताला की मरजी उस लड़के को हटाकर बकरा अथवा दुम्बा जो चीज रखने की होगी, रख लेंगे । शुरू में क्यों निर्दोष एवं मूक पशुओं को कुर्बानी के लिए तैयार कर दिया जाये। यद्यपि हीरविजयसूरिजी से मिलमे के बाद बादशाह इस बात से परिचित था कि जीव हिंसा से घोर पाप होता है कुरान शरीफ में जीव हिंसा की आज्ञा नहीं है फिर भी शान्तिचन्द्र जी के उपदेश से बादशाह ने लाहौर में ढिंढोरा पिटवा दिया कि कल ईद के दिन कोई आदमी किसी जीव को न मारे । इस तरह बादशाह के इस फरमान से करोड़ों जीवों के प्राण बच गये · भानुचन्द्र गणिचरित में जीव हिंसा निषेध के जो दिन गिनाये गये हैं उनमें भी ईद का दिन शामिल है। सूरिजी की तरह शांतिचन्द्र जी को भी बादशाह बहुत मानता था, इसलिए उनके आग्रह से बादशाह ने एक ऐसा फरमान निकाला जिसकी सह से, बादशाह का जन्म जिस महीने में हुआ था, उस सारे महीने में, रविवार के दिनों में, संक्रान्ति के दिनों में और नवरोज के दिनों में कोई भी व्यक्ति जीव हिंसा नहीं कर सकता थाहीरसौभाग्य काव्य में भी इन दिनों का वर्णन मिलता है। इस तरह सब मिलाकर एक वर्ष में छ: महीने, छ: दिन के लिए अकबर ने अपने सारे राज्य में जीव हिंसा नहीं होने के फरमान निकाले थे इन फरमानों के अलावा जिया बन्द करने का फरमान भी ले लिया जगद्गुरू हीर में भी वर्णन मिलता है कि शान्तिचन्द्र जी के कथनानुसार जजिया कर, मत द्रव्य ग्रहण करना कतई बन्द कर दिया और अकबर गाय, भैस, बकरा आदि पशुओं को कसाई की छुरी से बचाने के लिए साल भर में छ: महीने तक सभी जीवों को अभय Ramanand 1. भानुचन्द्रगणिचरित भूमिका का लेखक-अगरचन्द्र भंवरलाल नाहटा पृष्ठ 8 2. सूरीश्वर सम्राट-कृष्णलाल वर्मा द्वारा अनुदित पृष्ठ 145 3. हीरसौभाग्य काव्य-देवविमलगणि सर्ग 14, श्लोक 273-274 4. सूरीश्वर सम्राट-कृष्णलाल वर्मा द्वारा अनुदित पृष्ठ 147 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003201
Book TitleMugal Samrato ki Dharmik Niti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNina Jain
PublisherKashiram Saraf Shivpuri
Publication Year1991
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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