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२१७ (४) राधनपुर के पास में श्री शंखेश्वर गाँव में शंखेश्वर पार्श्वनाथजी को मूर्ति गत चौबीसी के श्री दामोदर नाम के तीर्थंकर के समय में बनी हुई, देवाधिष्ठित मौजूद है।
(५) बंबई के पास अगासी गाँव में श्री मुनिसुव्रतस्वामी की प्रतिमा उनके समय में बनी हुई कहलाती है।
(६) श्रीपाल राजा तथा सौ कुष्ठ रोगियों का कोढ़ श्री ऋषभनाथजी की मूर्ति के स्नान जल से दूर हुआ था वह मूर्ति श्री धूलेवा नगर में श्री केसरियानाथजी के नाम से पहचानी जाती है, जिसे लाखों वर्ष हो गये।
(७) राजा रावण के समय में बनी हुई, श्री अंतरिक्ष पावनाथजी की मूर्ति दक्षिण देश में आकोला के पास 'अंतरिक्षजी तीर्थ में विद्यमान है।
(5) इस चौबीसी के श्री नेमिनाथ भगवान् के शासन के २२२२ वर्ष पश्चात गोड़ देशवासी आषाढ नाम के श्रावक ने तीन प्रतिमाएँ भरवाईं। उनमें से एक खंभात में श्री स्तंभन पार्श्वनाथ की, दूसरी पाटण शहर में तथा तीसरी पाटण के पास में चारूप गाँव में अब विद्यमान है । उस पर निम्नानुसार लेख हैं। 'नमेस्तीर्थकृते तीर्थे, वर्षद्विक चतुष्टये। आषाढ़ श्रावको गौडो कारयेत प्रतिमा त्रयम् ॥'
इत्यादि, इस हिसाब से ये प्रतिमाएँ लगभग ५,८६,७४४ वर्ष पुरानी हैं।
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