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(१) श्री तत्त्वार्थसूत्र तथा अन्य पाँच सौ प्रकरण के रचयिता दस पूर्वधर वाचकशेखर श्री उमास्वातिजी महाराज द्वारा रचित पूजाप्रकरण ।
(२) चौदह पूर्वधर तथा श्री वीरभगवान् के छठे पट्टधर श्री भद्रबाहुस्वामी कृत आवश्यक नियुक्ति ।
(३) दस पूर्वधर श्री वज्रस्वामीकृत प्रतिष्ठाकल्प । (४) श्री पादलिप्ताचार्य कृत प्रतिष्ठाकल्प । (५) श्री बप्प भट्टसूरि कृत प्रतिष्ठाकल्प ।
(६) चौदह सौ चवालीस ग्रंथों के कर्ता श्री हरिभद्रसूरिकृत पूजा पंचाशक ।
(७) इन्हीं महापुरुष द्वारा रचित श्री षोडशक । (८) इन्हीं महापुरुष द्वारा रचित श्री ललितविस्तरा । (e) इन्हीं महापुरुष द्वारा रचित श्री श्रावकप्रज्ञप्ति । (१०) श्री शालिभद्रसूरि कृत चैत्यवंदन भाष्य । (११) श्री शांतिसूरि कृत चैत्यवन्दन बृहद् भाष्य । (१२) श्री देवेन्द्रसूरि कृत लघु चैत्यवन्दन भाष्य । (१३) श्री धर्मघोषसूरि श्री कृत संघाचारवृत्ति । : (१४) श्री संघदासगणि कृत व्यवहार भाष्य ।....
(१५) श्री बृहत्कल्प भाष्य और उसकी श्री मलयगिरिसूरि कृत वृत्ति ।
(१६) श्री महावीरप्रभु के हस्तदीक्षित शिष्य अवधिज्ञानी श्री धर्मदासगरिण क्षमाश्रमण कृत उपदेशमाला। . . .
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