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कारण अन्न, वनस्पति आदि एकेन्द्रिय पदार्थों को ही भक्ष्य फरमाया है। इस पर भी श्री जिनपूजा के साथ मांस भोजन की तुलना करना, अत्यन्त अज्ञानता एवं धर्मद्वेष का सूचक है ।
प्रश्न ५३–पुष्पपूजा से पुष्प के जीवों को कष्ट पहुँचता है, इसका क्या ?
उत्तर- जो फूल भगवान् को चढ़ते हैं, उन जीवों को कोई कष्ट नहीं होता बल्कि उनको सुरक्षित स्थान मिलता है । इससे पुष्पपूजा करने वाले तो, उन पर दया करने वाले हैं। उन फूलों को कोई शौकीन लोग लेजाकर हार, गजरा आदि बना कर संघते हैं, मसलते हैं, वेश्या अपने पलंग पर बिछाती है, अत्तर के व्यापारी उसे चूल्हे पर चढ़ाते हैं, तेल निकालने हेतु उन्हें पीसते हैं, इस तरह भाँति २ से कष्ट पहुँचाते हैं, जबकि जो फूल प्रभु के अंगों पर चढते हैं उनको तो जीवन भर कष्ट पहुँचाने या मारने की किसी की शक्ति नहीं । इसलिये वे तो सुख से अपनी प्रायु पूर्ण करते हैं। श्रद्धापूर्वक फूलों को लाकर, उसको हार में पिरोकर विधि पूर्वक भगवान् को चढ़ाने वाला पुष्प के जीवों को कष्ट न देकर सुरक्षा प्रदान करता है।
श्री आवश्यक सूत्र की हवृत्ति के द्वितीय खंड में कहा है कि--
"जहा णवणयराइसन्निवेसे केइ पभूय जलाभावो तण्हाइपरिगया तदपनोदार्थ कप खणंति तेसिं च जइवि तण्हादिया वडति मट्टिकाकद्दमाईहिं य मलिरिणज्जन्ति तहावि तदुभवेण चेव पाणिएणं तेसि ते तण्हाइया सो य मलो पुव्वओ य फिट्टइ
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