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१३२ प्रश्न २३-जड़ प्रतिमा मोक्षदायक कैसे हो सकती है ?
उत्तर-शास्त्र कि, जो स्याही और कागज़ रूप होने के कारण जड़ होते हुए भी, 'मोक्ष दिलाने वाले हैं', ऐसा सभी स्वीकार करते हैं, तो परमेश्वर की मूर्ति भी उसके आराधक को मोक्ष का सुख प्रदान क्यों न करे ? शास्त्र ईश्वरीय वचनों की प्रतिमा हैं; एवं मूर्ति भगवान् के आकार की प्रतिमा है। शब्दों की प्रतिमा से जिस प्रकार ज्ञान होता है, उसी प्रकार आकार की प्रतिमा से भव्य आत्माओं को ईश्वर के स्वरूप का ज्ञान होता ही है। - प्रश्न २४-अक्षरों के आकार को देखने मात्र से ज्ञान होता है परन्तु मूर्ति को देखने मात्र से ज्ञान कहाँ होता है ? - उत्तर-अक्षराकार को देखने मात्र से ज्ञान होने की बात कहना ग़लत है। इस ज्ञान के पूर्व शिक्षक द्वारा उन अक्षरों को पहचानना पड़ता है।
अक्षरों को पहचानने के बाद ही पढ़ना या लिखना सीखा जा सकता है । इस प्रकार गुर्वादिक द्वारा-"यह देवाधिदेव श्री वीतराग की मूर्ति है । इनके अज्ञानादि दोषों का नाश हो चुका है। वे अनंत गुण वाले हैं। वे देवेन्द्रों से भी पूजित हैं, तत्त्वों का उपदेश देने वाले हैं, मोक्ष की प्राप्ति उन्हें हो चुकी है, संसार सागर से तिर चुके हैं, सर्वज्ञ हैं, सर्वदर्शी हैं, दया के सागर हैं, परीषह तथा उपसर्गों की सेना को भगाने वाले हैं तथा रागादि से रहित हैं।" ऐसा ज्ञान जैसे जैसे होता जाता है, वैसे २ मूर्ति के दर्शनादि करते समय उन २ गुणों का ज्ञान तथा स्मरण दृढ़तर बनता जाता है।
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