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१०५ यह 'सिद्धायतन' का अर्थ । वैताढ्य पर्वत. चुल्ल हिमवंत पर्वत, मेरु पर्वत, श्री मानुषोत्तर पर्वत, श्री नंदीश्वर द्वीप, श्री ऋचक्र द्वीप आदि पर्वतों तथा द्वीपों पर अनेकों शाश्वत जिनमूर्तियों वाले मन्दिरों के होने का श्री जीवाभिगम तथा श्रीभगवती आदि सूत्रों में स्पष्ट बताया हुआ है और उन सूत्रों को तमाम जैन मानते हैं ।
प्रश्न ८-कई लोग श्री जिन प्रतिमा से जिनबिंब नहीं लेकर, श्री वीतरागदेव के नमूने के समान साधु को ग्रहण करते हैं, क्या यह उचित है ?
उत्तर-उनकी यह मान्यता झूठी एवं कल्पित है। सूत्रों में स्थान स्थान पर श्री जिनप्रतिमा श्री जिनवर तुल्य कही गई है। श्री जीवाभिगम आदि सूत्रों में जहाँ जहाँ शाश्वती प्रतिमा का अधिकार है वहाँ वहाँ 'सिद्धायतन' अर्थात् 'सिद्ध भगवान् का मंदिर' ऐसा कहा है पर 'मूर्ति-पायतन' अथवा 'प्रतिमा-पायतन' नहीं कहा है। इससे भी यह सिद्ध होता है कि श्री सिद्ध की प्रतिमा सिद्ध के समान है । ___श्री रायपसेरणी सूत्र तथा श्री जीवाभिगम सूत्र में श्री सूर्याभ देवता तथा श्री विजयपोलीग्रा की द्रव्य पूजा का अधिकार "धूवं दाऊरणं जिणवराणं" अर्थात् 'श्री जिनेश्वर देव को धूप करके' ऐसा कहा है। इससे भी श्री जिन प्रतिमा को जिनवर समान मानी गई है, यह सिद्ध होता है
पुनः श्री रायपसेणी, श्री दशाश्रतस्कंध और श्री उववाई आदि अनेक सूत्रों में तीर्थंकर को वंदन के लिए जाते समय श्रावकों के अधिकार में कहा है कि-'देवयं चेइयं पज्जुवासामि'
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