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कपड़े बदल गये
दया और सरलता भी बाहर आई ! उन दोनों को पुकारने लगी “अपने कपड़े पहन कर जाइए।" पर वे लौटी नहीं । विवश हो दया और सरलता ने उन दोनों के फटे कपड़ों से ही अपना शरीर ढक कर लाज बचाई।
क्र रता और धूर्तता तब से आजतक दया और सरलता का परिवेष पहने संसार को छल रही है। साधारण मनुष्य ही क्या, विद्वान् भी उनसे धोखा खा रहे हैं।
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