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एक चित्र : तीन परछाई
धर्म और शास्त्र की चर्चाओं में विजय दुंदुभि बजाने वाले आचार्य शंकर ने एक दिन अपने अनुभव की बात कही थीशब्दजालं महारण्यं चित्तभ्रमण-कारणम्
-विवेक चूडामणि ६२ ये बड़े-बड़े उपदेश और लम्बी तत्वचर्चाएं सिर्फ शब्द जाल है, उसमें मनुष्य की बुद्धि की चिड़िया फंस जाती है तो निकलना भी मुश्किल हो जाता है। ___ वास्तव में पोथी का धर्म, जब तक जीवन का धर्म नहीं बनता तब तक वह शब्द जाल ही है। सुन्दर से सुन्दर काव्य लिखने वाला कवि, वैराग्य का उपदेश बधारने वाला वैरागी और जोशीला भाषण सुनाने वाला नेता जब तक उन भावों को, उपदेशों और आदर्शों को अपने जीवन में नहीं उतारते, तो उनके वे काव्य, प्रवचन, और भाषण शब्द जाल के सिवा और क्या हो सकते हैं ?
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